भाव भावना की अनुभूति अनुभव रिश्तो खुशियों का परिवार समाज प्राणि प्रकृति ब्रह्मांड।। भाव भावना की अनुभूति अनुभव रिश्तो खुशियों का परिवार समाज प्राणि प्रकृति...
हरगोविंद जाग अब, कर अब ही तू जो नहीं कर पाया.....! हरगोविंद जाग अब, कर अब ही तू जो नहीं कर पाया.....!
इस कविता में मैंने "प्रेम" को कुछ पंक्तियों द्वारा दर्शाया है | इस कविता में मैंने "प्रेम" को कुछ पंक्तियों द्वारा दर्शाया है |
तेरे न होने की मुझे फ़िकर तो है तेरे न होने की मुझे फ़िकर तो है
प्रेम प्रेम